नियत्रंक एवं महालेखा परीक्षण
Qus. नियत्रंक एवं महालेखा परीक्षण की भूमिका एवं सीमाऍ को वर्णित किजिए ।
Ans. भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 में एक नियत्रंक एवं महालेखा परीक्षण का प्रावधान है जो लोक वित्त का संरक्षक होता है । सीएजी सरकारी खर्चो का लेखा परीक्षण करता है । सीएजी का कर्तव्य होता है कि भारत के संविधान एवं संसद की विधि के तहत वित्तीय प्रशासन को संभाले ।
सीएजी सरकारी व्यय की तर्कसंगतता, निष्ठा और मितव्ययता की भी जॉच करता है अर्थात वह किसी ऐसे खर्चे को अस्वीकार कर सकता है जो कि उसके विचार में संविधान अथवा कानून का उल्लंघन करता है । सीएजी का भारत की संचित नीधि से धन की निकासी पर कोई नियत्रंण नही है और उनके विभाग कैग के प्राधिकार के बिना चैक जारी कर धन की निकासी कर सकता है, कैग की भूमिका व्यय होने के बाद केवल लेखा परीक्षण अवस्था में है ।
नियत्रंण एवं महालेखा परीक्षण की भूमिका को सीमित भी किया गया है-
- गुप्त सेवा व्यय कैग की लेखा परीक्षा की भूमिका पर सीमाऍ निर्धारित करता है । इस संबंध में कैग कार्यकारी एजेन्सियो द्वारा किए गए व्यय के ब्यौरे नही मांग सकता, किन्तु प्रशासनिक अधिकारी से प्रमाण पत्र स्वीकार करना होगा कि व्यय प्राधिकार के अंर्तगत किया गया है ।
- सार्वजनिक निगमों की लेखा-परीक्षक की भूमिका भी सीमित है वह कुछ निगमों की लेखा परीक्षण निजी पेशेवर लेखा परीक्षण के द्वारा की जाती है जो कि सीएजी की सलाह पर केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है । जैसे केन्द्रीय भंडार निगम, औघौगिक वित्त निगम एवं अन्य ।
- कुछ अन्य निगमों की पूरी तरह निजी लेखा परीक्षण की जाती है तथा इसमें कैंग की कोई भूमिका नही होती है । वे अपना वार्षीक प्रतिवेदन तथा लेखा सीधे संसद को प्रस्तुत करती है । उदा. के लिए- जीवन बीमा निगम, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, भारतीय खाद्य निगम आदि ।
- सरकारी कम्पनियों की लेखा परीक्षा में सीएजी की भूमिका सीमित है उनकी लेखा परीक्षा निजी अंकेक्षको द्वारा की जाती है जो कि सीएजी की सलाह पर केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किये जाते है । सीएजी इनकी पूरक लेेखा परीक्षा कर सकती है ।
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