जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC)

जलवायु परिवर्तन और राष्ट्रीय मिशन
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) को औपचारिक रूप से 30 जून 2008 को लागू किया गया। यह उन साधनों की पहचान करता है जो विकास के लक्ष्य को प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही, जलवायु परिवर्तन पर विमर्श के लाभों को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करता है। राष्ट्रीय कार्य योजना के कोर के रूप में आठ राष्ट्रीय मिशन हैं। वे जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन तथा न्यूनीकरण, ऊर्जा दक्षता एवं प्रकृतिक संसाधन संरक्षण की समझ को बढावा देने पर केंद्रित हैं।
आठ राष्ट्रीय मिशन हैं:
- राष्ट्रीय सौर मिशन (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा (एमएनआरई) मंत्रालय के अन्तर्गत)
- परिष्कृत ऊर्जा कुशलता के लिए राष्ट्रीय मिशन (विद्युत मंत्रालय के अन्तर्गत)
- सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन(शहरी विकास मंत्रालय के अन्तर्गत)
- राष्ट्रीय जल मिशन(जल संसाधन मंत्रालय के अन्तर्गत)
- सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन(विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अन्तर्गत)
- हरित भारत मिशन(पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मंत्रालय के अन्तर्गत)
- धारणीय कृषि मिशन (कृषि मंत्रालय के अन्तर्गत)
- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन(विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अन्तर्गत)
राष्ट्रीय सौर मिशनजलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय सौर मिशन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना गया है। इस मिशन का उद्देश्य देश में कुल ऊर्जा उत्पादन में सौर ऊर्जा के अंश के साथ अन्य नवीकरणीय साधनों(परमाणु ऊर्जा ,पवन ऊर्जा बायोमास ऊर्जा आदि) की संभावना को भी बढ़ाना है। यह मिशन शोध एवं विकास कार्यक्रम को आरंभ करने की भी माँग करता है जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग को साथ लेकर अधिक लागत-प्रभावी, सुस्थिर एवं सुविधाजनक सौर ऊर्जा तंत्रों की संभावना की तलाश करता है।
मिशन के लक्ष्य इस प्रकार हैं –
- 2022 तक 20 हजार मेगावाट क्षमता वाली-ग्रिड से जुड़ी सौर बिजली पैदा करना,
- 2022 तक दो करोड़ सौर लाइट सहित 2 हजार मेगावाट क्षमता वाली गैर-ग्रिड सौर संचालन की स्थापना
- 2 करोड़ वर्गमीटर की सौर तापीय संग्राहक क्षेत्र की स्थापना
- देश में सौर उत्पादन की क्षमता बढ़ाने वाली का अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण और
- 2022 तक ग्रिड समानता का लक्ष्य हासिल करने के लिए अनुसंधान और विकास के समर्थन और क्षमता विकास क्रियाओं का बढ़ावा शामिल है।
परिष्कृत ऊर्जा कुशलता के लिए राष्ट्रीय मिशन—–भारत सरकार ने ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने हेतु पहले से ही कई उपायों को अपनाया है। इनके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य-योजना के उद्देश्यों में शामिल हैं:
- बड़े पैमाने पर उर्जा का उपभोग करने वाले उद्योगों में ऊर्जा कटौती की मितव्ययिता को वैधानिक बनाना एवं बाजार आधारित संरचना के साथ अधिक ऊर्जा की बचत को प्रमाणित करने हेतु एक ढाँचा तैयार करना ताकि इस बचत से व्यावसायिक लाभ लिया जा सके।
- कुछ क्षेत्रों में ऊर्जा-दक्ष उपकरणों/उत्पादों को वहनयोग्य बनाने हेतु नवीन उपायों को अपनाना।
- वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक तंत्र का निर्माण तथा भविष्य में होने वाली ऊर्जा बचतों के दोहन हेतु कार्यक्रमों का निर्माण और इसके लिए सरकारी-निजी भागीदारी की व्यवस्था करना।
- ऊर्जा दक्षता बढ़ाने हेतु ऊर्जा-दक्ष प्रमाणित उपकरणों पर विभेदीकृत करारोपण सहित करों में छूट जैसे वित्तीय उपायों को विकसित करना।
सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशनइस मिशन का लक्ष्य निवास को अधिक सुस्थिर बनाना है। इसके लिए तीन सूत्री अभिगम पर जोर दिया गया है:
- आवासीय एवं व्यावसायिक क्षेत्रकों के भवनों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना।
- शहरी ठोस अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन,
- शहरी सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय जल मिशनराष्ट्रीय जल मिशन का लक्ष्य जल संरक्षण, जल की बर्बादी कम करना तथा एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन के द्वारा जल का अधिक न्यायोचित वितरण करना है। राष्ट्रीय जल मिशन, जल के उपयोग में 20% तक दक्षता बढ़ाने हेतु एक ढाँचा का निर्माण करेगा। यह वर्षाजल एवं नदी प्रवाह की विषमता से निबटने हेतु सतही एवं भूगर्भीय जल के भंडारण, वर्षाजल संचयन तथा स्प्रिंकलर अथवा ड्रिप सिंचाई जैसी अधिक दक्ष सिंचाई व्यवस्था की सिफारिश करता है।
सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशनइस कार्यक्रम में शामिल है- स्थानीय समुदाय, विशेषकर पंचायतों का पारिस्थितिक संसाधनों के प्रबंधन हेतु सशक्तीकरण करना। यह राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 में वर्णित निम्नलिखित उपायों की पुष्टि करता है:
- पर्वतीय पारिस्थिकीतंत्र के सुस्थिर विकास हेतु भूमि उपयोग की उचित योजना एवं जल-छाजन प्रबंधन नीति को अपनाना
- संवेदनशील पारिस्थिकी तंत्र को नुकसान से बचाने एवं भू-दृश्यों के संरक्षण हेतु आधारभूत संरचना के निर्माण की सर्वोत्तम नीति अपनाना
- जैव कृषि को बढ़ावा देकर फसलों की पारंपरिक किस्मों की खेती एवं बागवानी को प्रोत्साहित करना ताकि किसान मूल्य प्रीमियम का लाभ प्राप्त कर सकें
- स्थानीय समुदायों को आजीविका के बेहतर साधन उपलब्ध हो सकें इस हेतु सुस्थिर पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु उचित नीतियों का निर्माण एवं बहुल-भागीदारी को सुनिश्चित करना
- पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों के आवागमन को नियंत्रित करने के उपायों पर बल देना ताकि पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की वहन क्षमता प्रभावित न हों
- विशिष्ट “अतुलनीय मूल्यों” के साथ कुछ पर्वतीय क्षेत्रों के लिए सुरक्षात्मक रणनीति का विकास करना।
हरित भारत मिशनइस मिशन का लक्ष्य कार्बन सिंक जैसे पारिस्थितिकीय सेवाओं को बढ़ावा देना। यह 60 लाख हेक्टेयर भूमि में वनरोपण के लिए प्रधानमंत्री का हरित भारत अभियान का हिस्सा है ताकि देश में वन आवरण को 23% से बढ़ाकर 33% करना है। इसका कार्यान्वयन राज्यों के वन विभाग द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से ऊसर वन भूमि पर किया जाना है। ये समितियाँ समुदायों द्वारा सीधी कार्यवाही को प्रोत्साहित करेंगी।
धारणीय कृषि मिशनइसका लक्ष्य फसलों की नई किस्म, खासकर जो तापमान वृद्धि सहन कर सकें, उसकी पहचान कर तथा वैकल्पिक फसल स्वरूप द्वारा भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बनाना है। इसे किसानों के पारंपरिक ज्ञान तथा व्यावहारिक विधियों, सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव तकनीकी के साथ-साथ नवीन ऋण तथा बीमा व्यवस्था द्वारा समर्थित किया जाना है।
जलवायु परिवर्तन हेतु ज्ञान मिशनयह मिशन, शोध तथा तकनीकी विकास के विभिन्न क्रियाविधियों द्वारा सहभागिता हेतु वैश्विक समुदाय के साथ कार्य करने पर बल देता है। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन से संबंधित समर्पित संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के नेटवर्क तथा जलवायु-शोध कोष द्वारा समर्थित इसके स्वयं का शोध एजेंडा होगा। यह मिशन, अनुकूलन तथा न्यूनीकरण हेतु नवीन तकनीकियों के विकास के लिए निजी क्षेत्र के उपक्रमों को भी प्रोत्साहित करेगा।
मिशन का क्रियान्वयन
इन 8 राष्ट्रीय मिशन को संबद्ध मंत्रालयों द्वारा संस्थाकृत किया जाना है तथा इसे अंतर-क्षेत्रक समूहों द्वारा संगठित किया जाएगा जिनमें संबद्ध मंत्रालयों के अलावा शामिल हैं- वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, उद्योग जगत एवं अकादमियों के विशेषज्ञ तथा नागरिक समाज।
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