भारत की पहली औद्योगिक क्राति
1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के सम्मुख अनेक चुनौतियॉ जैसे-व्यापक गरीबी, खाद्यान्न की कमी, स्वास्थ्य सुरक्षा इत्यादि जिस पर अधिक ध्यान देना आवश्यक था । इसके अतिरिक्त उद्योग,आधारभूत संरचना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ,उच्च शिक्षा आदि । इन सभी क्षेत्रों के विकास के लिए अत्यधिक पूॅजी निवेश की आवश्यकता थी, समय की मॉग थी कि अर्थव्यवस्था का विकास हो । इसी को ध्यान में रखते हुए 8 अप्रैल 1948 को भारत की पहली औद्योगिक नीति लागू की गई । इस नीति के निम्नलिखित प्रावधान थे-
1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के सम्मुख अनेक चुनौतियॉ जैसे-व्यापक गरीबी, खाद्यान्न की कमी, स्वास्थ्य सुरक्षा इत्यादि जिस पर अधिक ध्यान देना आवश्यक था । इसके अतिरिक्त उद्योग,आधारभूत संरचना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ,उच्च शिक्षा आदि । इन सभी क्षेत्रों के विकास के लिए अत्यधिक पूॅजी निवेश की आवश्यकता थी, समय की मॉग थी कि अर्थव्यवस्था का विकास हो । इसी को ध्यान में रखते हुए 8 अप्रैल 1948 को भारत की पहली औद्योगिक नीति लागू की गई । इस नीति के निम्नलिखित प्रावधान थे-
- भारत की अर्थव्यवस्था मिश्रित होगी अर्थात इस नीति से ही भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप मिश्रित अर्थव्यवस्था होगा ।
- कुछ महत्वपूर्ण उद्यागो को केंद्र सूची में रखा गया जैसे- कोयला ,पॉवर , रेल, नागरिक उडड्न , अस्त्र एवं युद्घोपकरण , रक्षा इत्यादि ।
- कुछ अन्य उद्योगो मिश्रित राज्य सूची में रखा गया जैसे- कागज , औषधि, कपडा, साइकिल, रिक्शा, दो पहियों वाले वाहन इत्यादि ।
- वो उद्योग जो केन्द्रीय तथा राज्य सूची में शामिल नही थे अर्थात वे उद्योग जो निजी क्षेत्र के निवेश के लिए रखा गया, जिसमें कई के लिए अनिवार्य लाइसेंस का प्रावधान था ।
- 10 वर्ष उपरांत नीति की समीक्षा का प्रावधान ।
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